मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके दिल्ली दौरे के बाद से उनके इस्तीफे की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। इस बहस को तूल देने में प्रशांत किशोर की भी भूमिका है और राष्ट्रीय जनता दल के नेता भी ऐसी बातें फैला रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह दो अलग-अलग कामों के लिए राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे है। उन्होंने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद अपनी प्रगति यात्रा को भी रोक दिया था।
सीएम नीतीश कुमार की इस सीजन की यात्रा बेहद ही पशोपेश वाली रही है। यहां तक कि पहले तो दो बार तैयारियां भी पूरी हो गईं थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर ऐलान नहीं होने की वजह से उसे टाल दिया गया। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद राजकीय शोक का भी ऐलान हो गया है। नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके हैं। वह फिर से अपनी प्रगति यात्रा को चार जनवरी से शुरू करेंगे।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार एनडीए अलायंस के नेताओं से भी मिलेंगे। वह भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। इसके बाद वह बयान जारी कर सकते हैं। सीएम पद को लेकर अमित शाह के बयान ने नीतीश कुमार को विचलित कर दिया है। शाह के बयान पर जेडीयू ने पलटवार करते हुए बिहार में कुछ पोस्टर लगाए थे। जिनमें लिखा था- ‘जब बात बिहार की हो, नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो’। नीतीश कुमार ने एक ही तीर से सारे निशाने साध लिए हैं। उन्होंने एक ही नारे में भारतीय जनता पार्टी, आरजेडी और अपनी ही पार्टी के नेताओं को साफ मैसेज दिया है।
देश में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाई जा रही थी। उस वक्त बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के बयान ने सियासी हलचल बढ़ा दी। विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार में भारतीय जनता पार्टी की अपनी सरकार हो, यह अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था और इसे हम पूरा कर सकते हैं। हालांकि, विजय सिन्हा ने इस बयान के बाद सफाई भी दी थी। उन्होंने कहा कि बिहार में नेतृत्व नीतीश कुमार के पास ही रहेगा। लेकिन उनके पहले बयान से एनडीए अलायंस और जेडीयू-बीजेपी के रिश्तों पर काफी सवाल खड़े कर दिए।