बजट से पहले नीतीश कैबिनेट ने ‘व्यय की स्वीकृति’ की लगाई झड़ी

बिहार राजनीति
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मौजूदा नीतीश कुमार सरकार का राज्य बजट पेश होने वाला है। इसके अलावा, इसी महीने मंत्रिमंडल में एक-दो बदलाव के साथ चार-छह जुड़ाव भी होना है। मतलब, चेहरा बदलने से लेकर नए चेहरों को मौका देने तक की तैयारी है। इतना कुछ होने वाला है, इसका प्रमाण खरमास में शुक्रवार को हुई नीतीश कुमार मंत्रिपरिषद् की बैठक में सामने आ गया। कैबिनेट बैठक में पास हुए प्रस्तावों की सूची लंबी ही नहीं, बल्कि भारी-भरकम भी है। इसमें ज्यादातर फैसले व्यय, यानी खर्च की स्वीकृति से जुड़े हैं। यहां तक कि पटना की तर्ज पर बिहार के 26 जिलों में 72 जगहों पर वाहन चालान के लिए सीसीटीवी लगवाने के लिए भी पैसों की स्वीकृति दे दी गई है। शुक्रवार को कुल 52 प्रस्तावों पर सहमति बनी।
मंत्रिपरिषद् द्वारा राज्य स्कीम के अन्तर्गत पश्चिम चम्पारण जिलान्तर्गत लव-कुश इको टूरिज्म पार्क, वाल्मीकिनगर के विकास हेतु राशि- 51,54,07,900/- (एकावन करोड़ चौवन लाख सात हजार नौ सौ) रूपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गयी है। बिहार में पश्चिम चम्पारण जिलान्तर्गत वाल्मीकिनगर एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है। यहाँ अधिक संख्या में पर्यटकों का आगमन होता है तथा निरंतर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है। आने वाले पर्यटकों को मनोरंजन के साधन एवं उच्च गुणवत्तापूर्ण पर्यटकीय सुविधा उपलब्ध कराने हेतु वाल्मीकिनगर क्षेत्र के विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा कई कार्य किए गए है। इसी क्रम में उक्त योजना प्रस्तावित है जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी एवं आस-पास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार एवं उद्यम की संभावनाएं भी सृजित होगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई कि राज्य में स्थापित आईटी/आईटीईएस/ईएसडीएम इकाई को बिहार आईटी नीति, 2024 के लागू होने की तारीख से पांच साल तक एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति की जाएगी। यह निवेशकों को और अधिक वित्तीय सुविधा देने के साथ निवेशानुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में सहायक सिद्ध होगा, जिससे निवेशक इकाइयाँ राज्य में अधिकाधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होंगी।
बिहार आईटी नीति, 2024 के अंतर्गत पहले से ही निवेशकों को पूंजीगत निवेश और रोजगार सृजन करने पर कई लाभ दिए जा रहे हैं। इस नीति के तहत निवेशकों को पूंजी निवेश सब्सिडी/ब्याज अनुदान सब्सिडी, लीज रेंटल सब्सिडी, विघुत बिल सब्सिडी, रोजगार सृजन सब्सिडी जैसे कई लाभ दिए जा रहे हैं। पूंजी निवेश सब्सिडी के तहत पूंजी निवेश का 30 प्रतिशत (अधिकतम 30 करोड़ रुपये तक) या ब्याज अनुदान सब्सिडी के तहत 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अनुदान (परियोजना लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 40 करोड़ रुपये तक) पांच वर्षों के लिए दिया जा रहा है। 50 प्रतिशत सब्सिडी लीज रेंटल राशि पर पाँच वर्षों के लिए देय है। बिजली बिल का 25 प्रतिशत वार्षिक प्रतिपूर्ति पांच साल के लिए दिया जा रहा है। रोजगार सृजन सब्सिडी के तहत ESI और EPF के नियोक्ता योगदान की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति अधिकतम पांच हजार प्रति कर्मचारी प्रति माह पांच वर्षों के लिए दी जा रही है।

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