बिहार में बड़ा सियासी उलटफेर, नीतीश के लिए इंडिया गठबंधन के तरफ से ग्रीन सिग्नल

बिहार राजनीति
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पटनाः नीतीश कुमार को कभी बूढ़ा, थका-हारा और लाचार सीएम बता कर तेजस्वी यादव और आरजेडी के नेता उन्हें इंडिया ब्लॉक में आने का न्यौता देने से नहीं चूक रहे। लालू परिवार के विश्वसनीय भाई वीरेंद्र हों या लोकसभा में संसदीय दल के नेता अभय कुशवाहा, सबने यह साफ-साफ संकेत दिया है कि नीतीश इंडिया ब्लॉक में वापसी करना चाहें तो उनके लिए दरवाजा खुला है। तेजस्वी यादव तो अफसोस के अंदाज में यहां तक कह देते हैं कि नीतीश जी गलत जगह पर फंस गए हैं। जिस तरह एनडीए में नीतीश कुमार अपरिहार्य हो गए हैं, ठीक उसी तरह इंडिया ब्लॉक भी उनके बिना अपने को अधूरा मानता दिख रहा है।
इंडिया ब्लॉक के सीएम फेस तेजस्वी यादव को नाज था कि वो सरकारी नौकरी के मुद्दे पर अगले विधानसभा चुनाव की वैतरणी आसानी से पार कर जाएंगे। सत्ता में रहते तो शायद यह संभव भी था। अब तो नीतीश कुमार ने उनके 10 लाख नौकरी के मुद्दे पर पानी फेर दिया है। नीतीश सरकार का दावा है कि सात निश्चय के दूसरे चरण में उन्होंने 10 लाख नौकरी का वादा किया था। इसमें अभी तक 9 लाख 6 हजार नौकरियां दी जा चुकी हैं।
अगले साल तक सरकार ने 12 लाख नौकरियां देने का लक्ष्य रखा है। सरकार का यह भी दावा है कि पिछले चार साल में 24 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराया गया है। यानी निर्धारित 10 लाख रोजगार के मुकाबले राज्य सरकार 34 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराएगी। यानी तेजस्वी का रोजगार का मुद्दा नीतीश कुमार ने झटक लिया है। तेजस्वी के लिए अब इसे पुराने मुद्दे का कोई औचित्य नहीं रह गया।
तेजस्वी यादव रोजगार का मुद्दा पुराना पड़ जाने के कारण नए की तलाश में लगे हैं। इस क्रम में उन्होंने कुछ नई घोषणाएं कर नीतीश पर भारी पड़ने की कोशिश जरूर की है। 200 यूनिट फ्री बिजली, महिलाओं को 2500 रुपए की हर महीने सम्मान राशि और वृद्धावस्था पेंशन की रकम में बढोतरी जैसी घोषणाएं तेजस्वी ने की हैं। शायद इसका भी कोई असर वे नहीं देख पा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने जिलों की अपनी यात्रा का चक्र पूरा किया है। यात्रा में कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक से वे उत्साहित नहीं हैं। इसलिए नए मुद्दे की तलाश में भटक रहे हैं।
इसी क्रम में आरजेडी नेताओं ने नीतीश कुमार को लेकर भ्रामक प्रचार शुरू किया है। आरजेडी विधायक और लालू यादव परिवार के करीबी भाई वीरेंद्र ने 26 दिसंबर को खगड़िया में कहा कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। बिहार में पहले भी सियासी खेला हुआ है और आगे भी हो सकता है। राजनीति तो परिस्थितियों का खेल है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर नीतीश कुमार सांप्रदायिक ताकतों का साथ छोड़ते हैं तो निश्चित रूप से हम उनका स्वागत करेंगे। भाई वीरेंद्र का यह बयान तब आया, जब एनडीए में नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें परवान पर थीं।
आरजेडी संसदीय दल के नेता अभय कुशवाहा तो मानते ही नहीं कि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार अलग हैं। उनका कहना है कि चाचा (नीतीश)-भतीजा (तेजस्वी) तो साथ ही हैं। चाचा मुख्यमंत्री हैं तो भतीजा नेता प्रतिपक्ष। ऐसे में यह कैसे कह सकते हैं कि चाचा भतीजा साथ नहीं हैं! वे भी कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी परमानेंट नहीं होता। नीतीश कुमार अगर आरजेडी के साथ आना चाहते हैं तो उनके लिए दरवाजा हमेशा खुला है। आगे-आगे देखिए होता है क्या के अंदाज में अभय कुशवाहा भी नीतीश की वापसी को लेकर आशान्वित लगते हैं।
तेजस्वी की पार्टी आखिर नीतीश कुमार को लेकर इतनी बेचैन क्यों दिखती है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें अपने तेज में कमी का एहसास होने लगा है। उन्हें शायद यह भी आभास हो रहा है कि अकेले पार पाना उनके वश की बात नहीं। 2015 में महागठबंधन की सरकार इसलिए बन गई थी कि नीतीश कुमार साथ थे। 2020 में वो अपनी तेजस्विता के चरण तक जा चुके हैं। एकजुट एनडीए से मुकाबला वे शायद कठिन मान रहे हैं। ऊपर से प्रशांत किशोर अलग मुसीबत बने हुए हैं। ऐसे में उन्हें नीतीश कुमार के साथ पर ही भरोसा दिखता है। नीतीश कुमार सीधे तो आने से रहे, इसलिए उनके बारे में भ्रम फैलाना और भाजपा से कट्टी के लिए वे और आरजेडी के दूसरे नेता नीतीश को उकसाने में लगे हैं

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