गिरिराज सिंह के मांग पर छिड़ा विवाद, कहा नीतीश कुमार और नवीन पटनायक को मिलना चाहिए भारत रत्न

बिहार राजनीति
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केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की मांग की है. इससे पहले जेडीयू ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग की थी. जेडीयू का मानना है कि नीतीश कुमार ने बिहार जैसे राज्य को संकट से बाहर निकालने के लिए ईमानदार प्रयास किए हैं और इसके लिए वो इस सम्मान के हकदार हैं.
अब इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है. विपक्षी दल आरजेडी ने इस मांग पर हंसी उड़ाई और आश्चर्य जताया कि उन्हें सीएम नीतीश को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने से कौन रोक रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरिराज सिंह की इस मांग को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा. दरअसल, बीजेपी के इस दिग्गज नेता को नीतीश कुमार का प्रमुख आलोचक माना जाता है लेकिन पिछले कुछ दिनों में इनके सुर कुछ बदले-बदले नजर आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार के सत्ता में आने से पहले बिहार खस्ताहाल सड़कों, स्कूलों और इमारतों के लिए जाना जाता था, जिन्होंने राज्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. इसी तरह, नवीन पटनायक ने इतने सालों तक ओडिशा की सेवा की. उनके जैसे नेता भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान के हकदार हैं.”
यह बयान आरजेडी के उस आरोप के बाद आया है जिसमें कहा गया है कि बीजेपी नीतीश कुमार को नियंत्रित कर रही है. बीते दिन मंगलवार (24 दिसंबर, 2024) को तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था, “बीजेपी ने सीएम ऑफिस पर कब्ज़ा कर लिया है. नीतीश कुमार के चार करीबी सहयोगी, जिनमें से दो दिल्ली में हैं, बीजेपी नेतृत्व के संपर्क में हैं. अमित शाह स्पष्ट रूप से काम कर रहे हैं.”
दिसंबर के पहले सप्ताह में जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि वह नीतीश कुमार को भारत रत्न से सम्मानित करें “क्योंकि उन्होंने बिहार जैसे असफल राज्य को विकास और प्रगति के पथ पर स्थापित किया है.”

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “वे किससे यह पुरस्कार मांग रहे हैं? केंद्र में एनडीए की सरकार है. भारत रत्न ही क्यों, नोबेल पुरस्कार भी मांगिए. यह सारा ड्रामा चुनाव तक चलता रहेगा और उसके बाद उन्हें महाराष्ट्र जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा.”

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