मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी और राजद अध्यक्ष लालू यादव का ऑफर वाला बयान, इसने बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश की सियासी गलियारों में हलचल मचा दी थी. सोशल मीडिया से लेकर चाय की दुकानों तक नीतीश कुमार के पलटी मारने की अटकलें लगाई जा रही थीं. वहीं प्रगति यात्रा पर निकलते ही मुख्यमंत्री ने अपनी चुप्पी तोड़ी और सारी आशंकाओं के बादल छट गए. मुख्यमंत्री ने ना सिर्फ लालू यादव के ऑफर को ठुकराया बल्कि लगातार उनपर हमलावर हैं. नीतीश कुमार ने एक बार फिर से एनडीए में ही रहने की बात दोहराई है.प्रगति यात्रा के दौरान वैशाली पहुंचे मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के सामने एक बार फिर से एनडीए में रहने वाला बयान दोहराया. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ उनके संबंध बहुत पुराने हैं. जेडीयू सुप्रीमो ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हमेशा मिले समर्थन को याद किया और राजद-कांग्रेस गठबंधन के साथ अपने दो अल्पकालिक गठबंधनों को एक ‘‘गलती’’ करार दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आदरणीय अटल जी ही थे जिन्होंने मुझे केंद्रीय मंत्री बनाया. वह मुझ पर बहुत स्नेह बरसाते थे. मुझे अपने प्रस्तावों को मंजूरी दिलाने में कभी कोई कठिनाई नहीं हुई.उन्होंने राज्यव्यापी ‘प्रगति यात्रा’ के तहत वैशाली जिले का दौरा किया. राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे कुमार ने यह भी कहा कि जब राजग ने 2005 में बिहार में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था, तो वाजपेयी की इच्छा थी कि मैं मुख्यमंत्री बनूं. नीतीश कुमार ने आगे कहा कि तो, मुझे क्यों नहीं भाजपा के साथ रहना चाहिए? मेरी पार्टी के लोगों ने एक-दो बार गलती की. मैंने दोनों बार इसे सुधारा. नीतीश कुमार ने इससे पहले गोपालगंज में भी यही बात कही थी. गोपालगंज में मुख्यमंत्री ने कहा था कि बिहार के लोगों ने हमें 24 नवंबर 2005 से काम करने का मौका दिया. तब से हम राज्य के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं.लालू यादव पर निशाना साधते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि 2005 से पहले बिहार की स्थिति बहुत खराब थी. जब बिहार के लोगों ने हमें काम करने का मौका दिया, तो राज्य की स्थिति बदल गई. हमने दो बार गलती से इधर-उधर का रास्ता चुना. लेकिन अब हम हमेशा साथ रहेंगे और बिहार के साथ-साथ देश का विकास करेंगे. बता दें कि बिहार में एक साल से भी कम समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव को लेकर हर दल अभी से तैयारियों में जुट गया है. इसी बीच सीएम नीतीश कुमार की बीजेपी से नाराजगी और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की ओर से उनको ऑफर ने सियासी पारे को चढ़ा दिया था.
