पटना. बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार नाम का एक ऐसा ‘हीरो’ या पात्र मौजूद है, जिसके इर्द-गिर्द ही बीते 20 सालों से बिहार की राजनीति घूमती रही है. बिहार की सत्ता हासिल करने के लिए एनडीए हो या महागठबंधन सभी को नीतीश कुमार की जरूरत महसूस होती है. या यूं कह सकते हैं कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में ऐसा ‘जोड़न’ हैं, जिसके बिना ‘दही’ नहीं जमती है. शायद, यही वजह है कि नीतीश कुमार बीते 18-20 सालों से बिहार की कुर्सी पर चुंबक की तरह चिपक गए हैं. जानकार भी कहते हैं कि बिहार की राजनीति में फिल्म कोई भी बनाए, लेकिन हीरो का रोल नीतीश कुमार के लिए पहले ही फिक्स हो जाता है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या नए साल में ‘हीरो’ का रोल नीतीश कुमार निभाएंगे या साइड रोल करने वाले कोई कलाकर बाजी मार ले जाएगा?
बिहार में नए साल में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री पद छोड़कर साइड रोल यानी डिप्टी सीएम पद के लिए जो मारामारी चलती थी, शायद इस बार न देखने को मिले. क्योंकि, इस बार फिल्म बनाने वालों ने साइड रोल वाला किरदार ही हटा दिया है. ऐसे में देखना है कि नीतीश कुमार का फ्यूचर प्लान 2025 में कैसा रहने वाला है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश कुमार की राजनीति का सूर्यास्त नजदीक आ गया है. इसकी झलक बीते कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में दिखाई भी देने लगी है. लेकिन, नीतीश कुमार भी लगता है कि हार मानने वाले नहीं हैं.
नीतीश कुमार करेंगे खेला?इधर, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नीतीश कुमार पर ताबड़तोड़ हमला बोल रहे हैं. तेजस्वी कभी बोलते हैं कि नीतीश कुमार थोड़े ही सरकार चला रहे हैं? दिल्ली में बैठे दो लोग और बिहार में बैठे दो लोग सरकार चला रहे हैं. तो कभी कहते हैं कि नीतीश सरकार टायर्ड और रिटायर्ड अधिकारी चला रहे हैं. आपको बता दें कि नीतीश कुमार पर पहले कभी इस तरह के आरोप लगते थे तो जेडीयू नेता आरजेडी पर जोरदार हमला बोला करते थे. लेकिन, हाल के दिनों में तेजस्वी यादव के हमले के बाद जेडीयू जोरदार तरीके से आरजेडी या तेजस्वी यादव पर हमला नहीं बोल रही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह कि क्या बढ़ती उम्र और बीते कई महीनों से नीतीश कुमार की चुप्पी आरजेडी को मौका दे रही है? क्या वाकई में नीतीश कुमार दो साल पहले वाले नीतीश कुमार नहीं रहे? क्या बिहार की सत्ता टायर्ड और रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स के साथ-साथ राज्य के दो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के हाथों में है? या फिर दिल्ली में बैठे दो बड़े नेता बिहार को चला रहे हैं?
नए साल में नीतीश कुमार घर बदलेंगे?आपको बता दें कि 28 जनवरी 2024 को ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में आकर सीएम बन गए थे. ऐसे में तेजस्वी के इस बयान का मतलब क्या है? नीतीश कुमार को नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि वह जब एनडीए में थे तो आखिर घंटों तक उन्होंने बीजेपी नेताओं को भनक नहीं लगने दिया था कि वह महागठबंधन में जा रहे हैं. राज्य के उस समय के मौजूदा डिप्टी सीएम रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद या फिर दिवंगत सुशील मोदी भी बोल रहे थे कि नीतीश कुमार कहीं नहीं जा रहे हैं. लेकिन, नीतीश कुमार और ललन सिंह अचानक राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचकर तहलका मचा दिया. नतीजा कुछ ही घंटे में एनडीए की सरकार गिर गई और महागठबंधन के नीतीश कुमार सीएम बन गए. ऐसे में जनवरी 2025 एक बार फिर से नीतीश कुमार और बिहार की राजनीति में क्या अहम साबित होने वाला है?
कुलमिलाकर हर नजरिए से नया साल नीतीश कुमार की राजनीति के लिए काफी अहम होने वाला है. यह भी सत्य है कि नीतीश कुमार का स्वास्थ्य अब उतना साथ नहीं दे रहा है, जितना दो साल पहले दिया करता था. ऐसे में मीडिया में पलटी मारने की लगातार उड़ती खबरों ने बिहार की सियासत को थोड़ा गर्मा तो जरूर दिया है. दूसरी तरफ आरजेडी भी इस बार नीतीश कुमार को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं दिख रही है.
