नीतीश को पाला बदलने पर हो सकता है घाटा, फूंक कर रखना होगा कदम

बिहार राजनीति
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नीतीश कुमार का ये कहना कि ‘गलती हो गई थी… अब कहीं नहीं जाएंगे’, अगर मन की बात है तो ठीक है, लेकिन अगर राजनीतिक बयान है तो फिर से पाला बदलने से पहले बार-बार सोचना चाहिये – क्योंकि, भूल सुधार का मौका आगे नहीं मिलने वाला है.
नीतीश कुमार को केंद्र में रखकर जिस तरह की बयानबाजी बिहार में चल रही है, हो सकता है सब हवा-हवाई ही हो – लेकिन, अगर मामला गंभीर है, तो वास्तव में बात बहुत गंभीर है.

आरजेडी नेता लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को लेकर विरोधाभासी बयान दिया है – और जेडीयू की तरफ से ये बोलकर पल्ला झाड़ लिया गया है कि कन्फ्यूजन उधर ही है, इधर नहीं.
मुमकिन है, ये सब दोनो तरफ से प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा हो, लेकिन नीतीश कुमार के मन में वास्तव में पाला बदलने का कोई ख्याल हो, तो उनको लेने के देने भी पड़ सकते हैं.
फर्ज कीजिये नीतीश कुमार एक बार फिर से इंडिया ब्लॉक में जाने का फैसला लेते हैं, तो ये समझने की कोशिश है कि क्या-क्या हो सकता है?

  1. हो सकता है, नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का नेता बना दिया जाये. जैसा वो पहले चाहते थे. फिर हो सकता है, लालू यादव भी ममता बनर्जी की जगह नीतीश कुमार का सपोर्ट करें.

ऐसे में ममता बनर्जी के मन में दो तरह के ख्याल आ सकते हैं. नीतीश कुमार को नेता बनाया जाना ममता बनर्जी को ठीक तो नहीं लगेगा, लेकिन हो सकता है इस बात से मान जायें कि चलो राहुल गांधी तो हटाये जा रहे हैं.

  1. बात उतने भर से ही खत्म नहीं होती. सवाल ये भी उठता है कि नीतीश के नाम पर कांग्रेस मानेगी या नहीं? ममता बनर्जी पर कांग्रेस की तरफ से आये रिएक्शन से तो ऐसा ही लगता है.

सवाल ये भी है कि नीतीश कुमार सिर्फ इंडिया ब्लॉक के नेता ही बनने पर राजी होंगे या सत्ता मिलने की सूरत में प्रधानमंत्री भी बनना चाहेंगे? जाहिर है, नीतीश कुमार जो भी कदम बढ़ाएंगे, किसी बड़े फायदे के लिए ही होगा.

  1. इंडिया ब्लॉक में नीतीश कुमार की वापसी से पहले लालू यादव की पहली शर्त होगी, तेजस्वी यादव को मुख्य्मंत्री बनाने की. बाकी चीजें चाहे जैसे भी मैनेज करने की कोशिश हो.

नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री बनने में लालू यादव मददगार होंगे भी या नहीं, कौन कह सकता है. लेकिन, नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री तो नहीं ही रहने देंगे. अगर थोड़ा धैर्य भी दिखाएंगे, तो ज्यादा से ज्यादा चुनाव नतीजे आने तक ही. लालू यादव भी जानते हैं कि बाद में तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री की कुर्सी के बीच की दूरी बढ़ती ही जाने वाली है.

  1. नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ कर इंडिया ब्लॉक में जाने पर उनके मुख्यमंत्री बनने में भी बड़ा पेंच फंसेगा.

इंडिया ब्लॉक में जाने के बाद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. अगर इस्तीफा नहीं दिये तो बीजेपी समर्थन वापस ले लेगी, और खेल खत्म हो जाएगा.

इस्तीफा देने के बाद अगर नीतीश कुमार फिर से सरकार बनाने का दावा पेश करते हैं, तो जरूरी नहीं कि राज्यपाल मौका भी दें.
क्योंकि आरजेडी अब विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी नहीं रह गई है.

बिहार उपचुनाव के बाद बीजेपी ने आरजेडी को पीछे छोड़ दिया है. विधानसभा में बीजेपी अब 80 पर पहुंच गई है, जबकि आरजेडी के पास 77 सीटें ही हैं.

2022 में पाला बदलने से पहले नीतीश कुमार ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के चार विधायकों को पहले ही आरजेडी में शामिल करा दिया था, ताकि वो सबसे बड़ी पार्टी बन जाये. और, राज्यपाल के लिए आरजेडी के दावे को दरकिनार करना मुश्किल हो जाये.

अब अगर नीतीश कुमार इस्तीफा देते हैं, और नये सिरे से सरकार बनाने का दावा पेश करते हैं, तो जरूरी नहीं कि राज्यपाल विचार भी करें – क्योंकि उनके सामने सबसे बड़ी पार्टी तो बीजेपी ही होगी. ऐसे में राज्यपाल तभी नीतीश कुमार को मौका देंगे जब बीजेपी सरकार बनाने की जगह विपक्ष में बैठने का फैसला करती है.

  1. मतलब, एनडीए छोड़ने पर नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री की कुर्सी जानी पक्की है, लेकिन इंडिया ब्लॉक में प्रधानमंत्री बन पाने की भी गारंटी नहीं है.

एनडीए में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित है. ये इसलिए भी, क्योंकि केंद्र की एनडीए सरकार में एक बैसाखी का नाम जेडीयू भी तो है.

बीजेपी को नीतीश की जरूरत मालूम है, इसलिए बिहार बीजेपी की तरफ से उनको अगले चुनाव के लिए नेता मान लिया गया है. असुरक्षित भविष्य की आशंका से नीतीश कुमार के नेतृत्व पर अंतिम फैसला बीजेपी संसदीय बोर्ड को लेना है – और उसी के नाम, केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान के बाद बीजेपी ये मैसेज देने की कोशिश कर रही है कि अब भी नीतीश कुमार पर उसे भरोसा नहीं हो रहा है.

  1. नीतीश कुमार के पाला बदल लेने से भी एनडीए की सरकार गिर जाएगी, ये तो नीतीश कुमार या लालू यादव किसी को भी अंदाजा नहीं होगा. ये संभव भी तभी हो पाएगा जब नीतीश कुमार के साथ साथ चंद्रबाबू नायडू भी सपोर्ट वापस लेने का फैसला करें. लेकिन उसके बदले उनको क्या मिलेगा, ये भी सवाल है. नायडू भी इतने दिनों से राजनीति में हैं, प्रधानमंत्री बनने की तो उनकी भी ख्वाहिश होगी ही.
  2. नीतीश कुमार को ये भी नहीं भूलना चाहिये कि जेडीयू के हटने पर ममता बनर्जी एनडीए का सपोर्ट कर सकती हैं. जिस तरीके से बीजेपी ने ममता बनर्जी के प्रति नरम रुख अपना रखा है, तृणमूुल कांग्रेस नेता ने भी अपना प्लान-बी तो तैयार ही रखा होगा. वैसे भी कहने भर को ही ममता बनर्जी इंडिया ब्लॉक में हैं. अगर ममता बनर्जी सरकार में शामिल न भी होना चाहें, तो बाहर से तो सपोर्ट कर ही सकती हैं.

देखा जाये तो नीतीश कुमार एनडीए के साथ ही सर्वोत्तम स्थिति में हैं. बेहतर ये होगा कि अब वो पुरानी ‘गलती’ दोहराने से परहेज करें. क्योंकि, आगे से ये बोलने का भी मौका नहीं मिलेगा कि ‘अब कहीं नहीं जाएंगे. गलती हो गई थी, चले गये थे.’

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