“हम पहले ही दो बार यह गलती कर चुके हैं, अब नहीं करेंगे। कभी दोबारा उनके (लालू प्रसाद-तेजस्वी यादव) साथ जाने की गलती नहीं करेंगे।”- एक दर्जन बार, यहां तक कि कई बार प्रधानमंत्री के साथ मंच शेयर करते हुए भी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह बोल-दुहरा चुके हैं। तो, फिर क्या वह यह ‘गलती’ करने वाले हैं?- यह सवाल अचानक नहीं उठा है। न तेजस्वी यादव या लालू प्रसाद यादव ने उठाया है। सोशल मीडिया की राह पर चलते हुए कुछ मीडिया संस्थानों (अमर उजाला नहीं) ने भी तीसरी बार ‘गलती’ की बात आगे बढ़कर चला दी। शोर इतना मचा कि असल बात दबकर रह गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हर गतिविधि को संदेहास्पद माना जाने लगा। ऐसे में यह जानना जरूरी भी है कि बिहार की राजनीति में क्या हो रहा है और क्या होने वाला है? जो चल रहा है, उसका समाधान किसके पास है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मन में क्या है, यह जानते ही सब साफ हो जाएगा।
और किसी को पता है या नहीं, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह को जरूर जानकारी है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मन में क्या है? यह सनसनी जो अभी इस ठिठुरन भरी ठंड में भी बिहार की राजनीति को गरम दिखा रही है, उसकी शुरुआत ही शाह से हुई है। अगर शाह बिहार में महाराष्ट्र जैसा चेहरा-बदल को लेकर साफ-साफ कह देते कि नीतीश कुमार ही अगले चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे तो यह सब होता ही नहीं। उन्होंने इस सवाल को टालकर बिहार की राजनीति में संशय के बीज बो दिए। इसी के बाद सीएम नीतीश कुमार की हर गतिविधि को जैसे-तैसे जाेड़कर उनके एनडीए छोड़ने की चर्चा उठाई गई। वह दिल्ली गए तो भी कहा गया कि कांग्रेस के ऑफर के बाद ही मुख्यमंत्री दिवंगत प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के परिजनों से मिलने के बहाने राष्ट्रीय राजधानी गए। उनकी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात नहीं हुई तो कहा गया कि भाजपा उन्हें तवज्जो नहीं दे रही। सनसनी फैलाने वाले मीडिया संस्थानों ने उनके पटना आकर राजभवन जाने को इस्तीफा और नई सरकार के गठन से जोड़कर देखा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार से दूसरे चरण की प्रगति यात्रा शुरू कर रहे हैं। गोपालगंज से इसकी शुरुआत होगी। इसकी तैयारी चल रही है। उधर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल सभी पांच दलों- जनता दल यूनाईटेड, भारतीय जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष 15 जनवरी से सामूहिक यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। इसकी भी तैयारी तेजी से चल रही है। लेकिन, इतना कुछ होने के बावजूद सभी की नजर भाजपा मुख्यालय पर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू चाहती है कि शाह या नड्डा औपचारिक रूप से घोषणा कर दें- “नीतीश कुमार ही 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीएम फेस होंगे।” यह घोषणा जैसे ही होगी, सभी तरह की चर्चाओं पर विराम लग जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत ही नीतीश कुमार चुप बैठकर मीडिया में चल रही बातों का आनंद ले रहे हैं।
